1. कठिनाइयों का सामना Motivational story in hindi for student
Motivational story in hindi – निखिल एक छोटे से शहर में रहने वाला बहुत ही होशियार छात्र था। उसके माता-पिता ने हमेशा उसकी पढ़ाई और उसके सपनों का समर्थन किया था। निखिल के जीवन का एक ही लक्ष्य था: डॉक्टर बनना।
वह दिन-रात पढ़ाई करता और अपनी परीक्षाओं में अच्छे अंक लाता। लेकिन निखिल के जीवन में एक समस्या थी – वह कठिनाइयों से बहुत डरता था।
निखिल की बोर्ड परीक्षाएं नजदीक आ रही थीं। वह दिन-रात मेहनत कर रहा था, लेकिन अचानक उसकी माँ बीमार पड़ गईं। निखिल को अपनी पढ़ाई छोड़कर माँ की देखभाल करनी पड़ी।
इस स्थिति ने उसे बहुत परेशान कर दिया और वह सोचने लगा कि वह अपनी परीक्षा कैसे पास करेगा। वह हताश हो गया और उसे लगा कि वह अपने सपने को कभी पूरा नहीं कर पाएगा।
एक दिन निखिल की माँ ने उसे बुलाया और कहा, “बेटा, जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन हमें उनसे डरना नहीं चाहिए। हमें उनका सामना करना चाहिए और अपनी मेहनत को जारी रखना चाहिए। याद रखो, असली विजेता वही होता है जो कठिनाइयों से घबराता नहीं बल्कि उन्हें पार करता है।
” माँ की बातों ने निखिल के दिल को छू लिया और उसने निर्णय लिया कि वह अपनी माँ के लिए और अपने सपने के लिए कठिनाइयों का सामना करेगा।
निखिल ने अपनी माँ की देखभाल के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा। उसने अपनी पढ़ाई के लिए रात को समय निकाला और जितना हो सकता था उतना मेहनत की। वह कभी-कभी बहुत थक जाता था, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसकी माँ का स्वास्थ्य धीरे-धीरे सुधरने लगा और निखिल की मेहनत भी रंग लाने लगी।
अंततः परीक्षा का दिन आ गया। निखिल ने अपनी पूरी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दी। उसने अपने सभी प्रश्नों का उत्तर पूरी ईमानदारी और मेहनत से दिया। परीक्षा के बाद वह थोड़ा चिंतित था, लेकिन उसने खुद पर विश्वास बनाए रखा।
परिणाम घोषित होने का दिन आया। निखिल का दिल धड़क रहा था। जब उसने अपना परिणाम देखा, तो उसकी आँखों में खुशी के आँसू आ गए। उसने परीक्षा में शानदार अंक प्राप्त किए थे और अपने स्कूल में टॉप किया था। उसकी मेहनत और संघर्ष ने उसे उसके सपने के एक कदम और करीब पहुंचा दिया था।
निखिल की इस सफलता ने उसे और भी प्रेरित किया। उसने मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी शुरू की और अपने माता-पिता के आशीर्वाद से वह भी अच्छे अंक प्राप्त कर मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने में सफल हुआ।
उसकी माँ और पिता उसकी सफलता पर गर्व महसूस कर रहे थे और निखिल ने अपने सपने को साकार करने के लिए अपनी कठिनाइयों का सामना किया था।
निखिल की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन हमें उनसे डरना नहीं चाहिए। हमें उनका सामना करना चाहिए और अपनी मेहनत और आत्मविश्वास को बनाए रखना चाहिए। निखिल ने अपनी माँ की बातों को याद रखा और अपने संघर्ष के साथ आगे बढ़ता रहा।
निखिल की यह कहानी अन्य विद्यार्थियों और लोगों के लिए प्रेरणा बन गई। उसने साबित कर दिया कि कठिनाइयों का सामना करने से ही हमें असली सफलता मिलती है।
उसकी कहानी ने यह संदेश दिया कि कठिनाइयों से घबराने के बजाय हमें उनसे लड़ना चाहिए और अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करनी चाहिए।
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कहानी की सिख
निखिल की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कोई भी कठिनाई हमें रोक नहीं सकती, अगर हमारे पास आत्मविश्वास और मेहनत का बल हो। हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि असली विजेता वही होता है जो कठिनाइयों का सामना करता है और अपनी मंजिल तक पहुँचता है।
2.छोटे कछुए का धैर्य Motivational story in hindi for student
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एक समय की बात है, एक छोटे से जंगल में एक कछुआ रहता था। उसका नाम धीमी था। धीमी बहुत धीरे-धीरे चलता था और अक्सर अन्य जानवर उसकी धीमी गति का मजाक उड़ाते थे। खासकर, खरगोश, बंदर और गिलहरी जैसे तेज गति वाले जानवर उसे चिढ़ाते थे।
धीमी को उनकी बातों से बहुत दुख होता था, लेकिन वह जानता था कि वह अपनी गति को बदल नहीं सकता। उसने सोचा,
“अगर मैं धीरे चलता हूँ, तो भी मैं अपनी मंजिल तक पहुँच सकता हूँ, बस मुझे धैर्य और संकल्प के साथ चलना होगा।”
एक दिन, जंगल के दूसरी ओर एक बड़ा उत्सव हो रहा था। सभी जानवरों ने निर्णय लिया कि वे उस उत्सव में भाग लेंगे।
उत्सव में बहुत सारी मस्ती और खेल होने वाले थे। सभी जानवर बहुत उत्साहित थे और उन्होंने जल्द से जल्द वहाँ पहुँचने की योजना बनाई।
जब धीमी ने भी वहाँ जाने की इच्छा जताई, तो अन्य जानवरों ने उसका मजाक उड़ाया और कहा, “तुम इतनी धीमी गति से वहाँ कब तक पहुँचोगे?”
धीमी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं जरूर पहुँचूँगा, चाहे कितना भी समय लगे।” उसने धीरे-धीरे चलना शुरू किया।
अन्य जानवर तेजी से दौड़ते हुए आगे निकल गए, लेकिन धीमी ने अपनी गति नहीं बदली। वह अपनी धुन में, धैर्य और स्थिरता के साथ चलता रहा।
रास्ते में, उसने देखा कि कई जानवर थककर रुक गए थे, जबकि कुछ ने आपस में खेलते हुए समय बर्बाद कर दिया। लेकिन धीमी ने बिना रुके और बिना विचलित हुए अपने रास्ते पर चलता रहा। वह थका हुआ जरूर था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
धीरे-धीरे, दिन बीता और रात हो गई। धीमी ने थोड़ी देर आराम किया, फिर अगले दिन फिर से चलना शुरू कर दिया। उसकी लगन और धैर्य ने उसे कभी रुकने नहीं दिया।
अंततः, वह उत्सव की जगह पर पहुँचा। वहाँ पहुँचते ही उसने देखा कि अधिकांश जानवर अभी तक वहाँ नहीं पहुँचे थे। उन्होंने रास्ते में अपना समय बर्बाद कर दिया था या थककर रुक गए थे।
धीमी की लगन और धैर्य ने उसे वहाँ सबसे पहले पहुँचाया। सभी जानवरों ने जब देखा कि धीमी सबसे पहले वहाँ पहुँचा है, तो वे हैरान रह गए।
उन्होंने अपनी गलती को समझा और धीमी के धैर्य और संकल्प की सराहना की। उन्होंने उससे माफी मांगी और कहा, “हमने तुम्हें कम आंका था।
तुम्हारा धैर्य और स्थिरता हमें सिखाती है कि किसी भी काम में सफलता पाने के लिए लगन और धैर्य की आवश्यकता होती है।”
धीमी ने मुस्कुराते हुए कहा, “धैर्य और संकल्प ही सफलता की कुंजी है। चाहे कितनी भी बाधाएँ आएं, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।”
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कहानी की सिख
इस प्रकार, धीमी कछुए ने अपने धैर्य और संकल्प के माध्यम से सभी जानवरों को एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाया और उसकी कहानी जंगल में प्रेरणा का स्रोत बन गई।
3. बंदर और टोपीवाला Motivational story in hindi
एक समय की बात है, एक गाँव में एक टोपीवाला रहता था जिसका नाम मोहन था। मोहन गाँव-गाँव घूमकर टोपियाँ बेचता था।
उसकी टोपियाँ बहुत रंग-बिरंगी और सुंदर होती थीं, जो गाँव वालों को बहुत पसंद आती थीं। हर दिन वह अपने टोपियों का बैग लेकर निकलता और गाँव-गाँव जाकर टोपियाँ बेचता।
एक दिन, मोहन एक नए गाँव में गया। सुबह-सुबह उसने गाँव के हाट में अपनी टोपियाँ बेचना शुरू किया। वह दिनभर मेहनत करता रहा और बहुत सारी टोपियाँ बेचने में सफल रहा।
दोपहर होते-होते वह थक गया और उसे भूख भी लग आई। उसने सोचा कि थोड़ी देर आराम कर लिया जाए और फिर वापस गाँव लौट जाया जाएगा।
मोहन एक बड़े पेड़ के नीचे आराम करने के लिए बैठ गया। पेड़ के नीचे ठंडी छाया थी, और वहाँ हवा भी बहुत अच्छी चल रही थी।
मोहन ने अपना टोपियों का बैग पास में रखा और आराम से सो गया। सोते-सोते वह गहरी नींद में चला गया।
जब मोहन सो रहा था, कुछ बंदरों का एक झुंड वहाँ आ पहुँचा। ये बंदर बहुत शरारती थे। उन्होंने मोहन का टोपियों का बैग देखा और सोचा कि यह कुछ खाने का सामान होगा।
बंदरों ने बैग खोला और देखा कि उसमें रंग-बिरंगी टोपियाँ हैं। बंदरों को टोपियाँ बहुत पसंद आईं और उन्होंने सभी टोपियाँ निकाल लीं और पहन लीं। वे टोपियाँ पहनकर पेड़ पर चढ़ गए और इधर-उधर कूदने लगे।
कुछ समय बाद, मोहन की नींद खुली। उसने देखा कि उसका बैग खाली पड़ा है और सभी टोपियाँ गायब हैं। उसने चारों ओर देखा और देखा कि बंदरों ने सभी टोपियाँ पहन रखी हैं और वे पेड़ पर बैठे हैं। मोहन पहले तो घबरा गया, लेकिन फिर उसने सोचा कि उसे अपनी टोपियाँ वापस लेनी होंगी।
मोहन ने बंदरों को टोपियाँ वापस लेने के लिए बहुत कोशिश की। उसने उनसे गुहार लगाई, लेकिन बंदर नहीं माने। उसने सोचा,
“बंदर तो नकलची होते हैं, वे दूसरों की नकल करते हैं। मुझे भी कुछ न कुछ करना होगा जिससे वे मेरी नकल करें।”
मोहन ने अपनी टोपी उतारकर जमीन पर फेंक दी। जैसे ही उसने ऐसा किया, बंदरों ने भी उसकी नकल की और अपनी-अपनी टोपियाँ उतारकर जमीन पर फेंक दीं।
मोहन ने जल्दी से सभी टोपियाँ इकट्ठी कर लीं और अपने बैग में रख लीं। उसने बंदरों को धन्यवाद दिया और जल्दी से वहाँ से चल पड़ा।
मोहन ने सोचा कि कभी-कभी समस्या का समाधान ढूँढने के लिए हमें थोड़ी सी बुद्धिमानी और धैर्य की आवश्यकता होती है। इस अनुभव से उसने सीखा कि समस्याओं का समाधान हमेशा संभव होता है, बस हमें सही तरीका अपनाना होता है।
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कहानी की सिख
इस प्रकार, मोहन अपनी टोपियों के साथ वापस गाँव लौट आया और उसने यह कहानी गाँव वालों को सुनाई। सभी गाँव वाले उसकी बुद्धिमानी की प्रशंसा करने लगे। मोहन ने भी इस घटना को जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक माना और हमेशा कठिनाइयों का सामना बुद्धिमानी और धैर्य के साथ करने का निर्णय लिया।
4.चींटी और कबूतर Motivational stories in hindi
एक घने जंगल में एक छोटी सी चींटी रहती थी। उसका नाम चिकी था। चिकी बहुत मेहनती थी और हर दिन अपने खाने की तलाश में इधर-उधर घूमती रहती थी।
एक दिन, चिकी खाना ढूंढ़ते-ढूंढ़ते नदी के किनारे पहुँच गई। वहाँ पानी बहुत साफ और ठंडा था, और चिकी को प्यास लग आई। वह नदी के पास गई और पानी पीने लगी।
जैसे ही चिकी पानी पीने लगी, अचानक उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गई। नदी का बहाव बहुत तेज था, और चिकी बहाव में बहने लगी।
उसने अपनी जान बचाने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन उसकी छोटी सी ताकत नदी के तेज बहाव के आगे कुछ नहीं थी। चिकी घबरा गई और मदद के लिए चिल्लाने लगी।
उसी समय, एक कबूतर जिसका नाम पीयू था, पास के पेड़ पर बैठा था। उसने चींटी की आवाज सुनी और देखा कि चिकी नदी में बह रही है। पीयू ने सोचा, “मुझे इस छोटी चींटी की मदद करनी चाहिए।” उसने जल्दी से अपनी चोंच से एक पत्ता तोड़ा और उसे चिकी के पास फेंक दिया।
चिकी ने पत्ते को देखा और जल्दी से उस पर चढ़ गई। पत्ता नदी में तैरता हुआ किनारे की ओर बढ़ने लगा। कुछ ही देर में पत्ता किनारे पर पहुँच गया और चिकी ने राहत की साँस ली।
उसने पीयू की तरफ देखा और उसे धन्यवाद कहा, “धन्यवाद पीयू, तुमने मेरी जान बचाई। अगर तुम न होते तो मैं शायद आज नदी में डूब जाती।”
पीयू ने मुस्कुराते हुए कहा, “कोई बात नहीं चिकी, दोस्ती में मदद करना हमारा फर्ज है।” इस प्रकार, चिकी और पीयू के बीच गहरी दोस्ती हो गई।
वे अक्सर एक-दूसरे से मिलते और बातें करते थे। चिकी ने पीयू से वादा किया कि वह भी कभी उसकी मदद करेगी जब भी उसे जरूरत होगी।
कुछ महीनों बाद, एक दिन पीयू जंगल में खाने की तलाश में निकला। वह एक बड़े पेड़ की शाखा पर बैठा था और नीचे जमीन पर देख रहा था कि कहीं खाने का कुछ मिल जाए।
तभी उसने देखा कि एक शिकारी चुपके से उसकी तरफ बढ़ रहा है। शिकारी ने अपने हाथ में तीर-धनुष पकड़ रखा था और वह पीयू पर निशाना साध रहा था। पीयू को इस बात का पता नहीं था और वह अपनी धुन में था।
चिकी, जो उसी पेड़ के नीचे घूम रही थी, ने शिकारी को देखा। उसने समझ लिया कि शिकारी पीयू पर हमला करने की योजना बना रहा है। चिकी ने जल्दी से सोचते हुए कहा,
“मुझे पीयू को बचाना होगा।” वह तेजी से दौड़ती हुई शिकारी के पास पहुँची और उसने शिकारी के पैर में जोर से काट लिया।
शिकारी ने दर्द से चिल्लाया और उसका निशाना चूक गया। तीर पेड़ के पास से निकल गया और पीयू सुरक्षित बच गया। पीयू ने नीचे देखा और चिकी को देखा।
उसने समझ लिया कि चिकी ने उसकी जान बचाई है। पीयू तुरंत उड़कर नीचे आया और चिकी से कहा, “धन्यवाद चिकी, तुमने मेरी जान बचाई।”
चिकी ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह तो मेरा फर्ज था। तुमने भी तो मेरी जान बचाई थी। दोस्ती का मतलब ही एक-दूसरे की मदद करना होता है।”
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कहानी की सिख
इस प्रकार, चिकी और पीयू की दोस्ती और भी गहरी हो गई। उन्होंने सीखा कि सच्ची दोस्ती में एक-दूसरे की मदद करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस घटना के बाद, जंगल के सभी जानवरों ने चिकी और पीयू की दोस्ती की कहानी सुनी और उनकी दोस्ती की मिसाल देने लगे।
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